स्वप्नदोष – लक्षण – कारण एवम् चिकित्सा
” वे स्वप्नदोष, Haryana and Punjab के सुप्रसिद्ध गुप्तरोग चिकित्सक हैं | वे कायाकल्प इंटरनैशनल PURI HEALTH CENTRE, Haryana and Punjab के प्रमुख इंचार्ज हैं | एक बेहद कामयाब सेक्सोलाजिस्ट होने के साथ साथ Dr. Puri प्री & पोस्ट मॅरेज काउनसेलर भी हैं | समाज में यौन-शिक्षा के प्रचार हेतु उनके द्वारा लिखित लेख प्रस्तुत हैं” |
रात्रि में सोते समय काम उत्तेजना के कारण जब इंद्रिय में से वीर्य का स्खलन हो जाता है तो उस अवस्था को स्वप्नदोष कहते हैं | इसी को प्राय: नाइटफॉल (वेट ड्रीम्स) भी कहते हैं |
स्वप्नदोष के समय प्राय: इंद्रिय में पूर्ण उत्तेजना एवम् कठोरता रहती है | और वीर्यस्खलन के समय रोगी की नींद खुल जाती है | परंतु कभी कभी इंद्रिय की कठोरता के बिना भी ‘स्वप्नदोष’ होता है | कभी-कभी बिना नींद खुले भी स्वप्नदोष होता है और रोगी को सुबह उठाने पर ही समझ में आता है कि रात को उसे ‘स्वप्नदोष’ हुआ था |
स्वप्नदोष प्राय: युवावस्था में ही ज़्यादा होता है | युवावस्था में अण्डकोष एवम् शुक्राग्रंथियाँ अधिक वीर्यउत्पन्न करती हैं | शुक्राग्रंथियों में ज़्यादा वीर्य जमा होने से इंद्रिय के स्नायुओं पर दबाव पडता है, जिससे वीर्यस्खलन – (स्वप्नदोष) होता है | स्वप्नदोष के बारे में विभिन्न चिकित्सकों के विचार भिन्न भिन्न हैं | आधुनिक चिकित्सक इसे स्वाभाविक प्रक्रिया मानते हैं | परंतु अवस्था के अनुसार हम इसको दो भागों में बाँट सकते हैं :-
1) स्वाभाविक स्वप्नदोष – वह है जो प्राय: 13 वर्ष से 25 वर्ष (शादी से पहले) की आयु के बीच होता है | या जो लोग शादीशुदा है परंतु किसी कारणवश पत्नी उनके पास नहीं रहती या जो विधुर हो गये हैं | इस प्रकार के लोगों कि सही मात्रा में स्वप्नदोष होना शरीर की एक स्वाभाविक एवम् हानिरहित क्रिया हैं |
अब यह प्रश्न उत्पन्न हो जाता है, कि स्वप्नदोष की स्वाभाविक एवम् सही मात्रा महीने में कितनी मानी जाए? तो विभिन्न मतानुसार महीने में 2-3 बार स्वप्नदोष होना स्वाभाविक माना जाता है | कुछ मतानुसार स्वाभाविक मात्रा वो है जिससे स्वप्नदोष होने से शरीर में कोई कमज़ोरी महसूस न हो एवम् शुद्ध वीर्य का स्खलन हो | आचार्य सुश्रुत एवम् चरकाचार्य के अनुसार शुद्ध वीर्य स्फटिक जैसा श्वेत रंग का, लसेदार, मधुर एवम् शहद जैसी गंध वाला, सधन, चिकना, दुर्गंधरहित, भारी एवम् गाढ़ा होता है | लेकिन प्राय: यह देखा गया है की शारीरिक, मानसिक, आर्थिक एवम् वातावरण की स्थितियों के हिसाब से स्वाभाविक स्वप्नदोष की मात्रा अलग अलग होती है |
2) अस्वाभाविक स्वप्नदोष – (स्वप्नदोष की रोग अवस्था) जैसा कि सभी जानते हैं ‘अति’ हर चीज़ की बुरी होती है | ज़्यादा दूध पीना, ज़्यादा घी खाना, ज़्यादा भोजन करना, ज़्यादा दौड़ना, ज़्यादा सोना, ज़्यादा जागरण करना, शरीर से ज़्यादा मूत्र निकलना, ज़्यादा खून निकलना, ज़्यादा मल-त्याग होना, इत्यादि हर काम एवम् हर क्रिया अगर ज़रूरत से ज़्यादा होती है तो वह शरीर को नुकसान पहुँचाती है |
उसी प्रकार ज़्यादा स्वप्नदोष होना भी शरीर के लिए नुकसान दायक है, इसी को स्वप्नदोष की अस्वाभाविक अवस्था या स्वप्नदोष का रोग कहते हैं | इस अवस्था में प्राय: बार-बार स्वपनदोष होता है | एक ही रात में 2 बार भी होता है एवम् दोषपूर्ण वीर्य निकलता है | जैसे वीर्य का फेनयुक्त, पतला (पानी जैसा या कच्ची लस्सी जैसा), एवम् कम मात्रा में निकलना |
अत्याधिक स्वप्नदोष होने पर सिरदर्द, ग्लानि, थकावट, सुस्ती, उदासी, ठीक से नींद न आना, मूत्र नली में जलन तथा दर्द होता है | रोग बढ़ने पर शुक्रमेह (शुक्र मिश्रित मूत्र) भी होता है | यह स्वप्नदोष रोग धीरे-धीरे शरीर को खोखला कर देता है | धीरे-धीरे स्नायुओं, ज्ञान तंतुओं की कमज़ोरी, स्मरणशक्ति का हास, दिल की धड़कनो का बढ़ जाना, चक्कर आना, सहनशक्ति का कम होना, हाथ पैरों का काँपना, थकावट, चिड़चिड़ापन, किसी काम में मन न लगना, कमरदर्द, नेत्रदोष इत्यादि लक्षण प्रकट होते हैं | ज़्यादा स्वप्नदोष होने पर वीर्य में गाढ़ापन नहीं रहता वह पतला हो जाता है, बार-बार मुत्रप्रवृत्ति की शिकायत होने लगती है | पाचनशक्ति की कमी, कब्ज, अजीर्ण तथा मनंदाग्नि की शिकायत होने लगती है | चेहरा निस्तेज हो जाता है एवम् उत्साह और उमंग कोसों दूर भाग जाते हैं |
जिन पुरुषों को अत्याधिक स्वप्नदोष की परेशानी रहती है, प्राय: देखा गया है कि उनको आगे चलकर इंद्रिय में उत्तेजना की कमी भी होती है | एवम् कभी कभी शीघ्रपतन की भी शिकायत रहती है | तथा कुछ पुरुषों में उत्तेजना एवम् शीघ्रपतन दोनों की परेशानी होने लगती है |
अस्वाभाविक स्वप्नदोष को रोकने के उपाय :- सुबह 5 बजे से पहले उठ जायें | सुबह उठते ही 3-4 गिलास पानी पिये | पेट साफ रखें | सुबह व्यायाम या भ्रमण करें | इंद्रिय को साफ रखे | अर्थात मैल न जमा होने दें | अश्लील किताबें न पढ़े एवम् भड़कीले चित्र न देखें. अश्लील सिनेमा एवम् ब्लू फिल्में न देखें | बुरे एवम् कामुक मित्रों के संग न रहें | अश्लील वातावरण से दूर रहें | अत्याधिक एवम् अप्राकृतिक मैथुन जैसे – हस्तमैथुन, पशुमैथुन, समलिंगी मैथुन इत्यादि का त्याग करें |
अच्छी धार्मिक किताबें पढ़े | रात्रि को सोने से पहले आधा घंटा ज़रूर टहलें | रात को कम भोजन करें, पेट में गैस, कब्ज न होने दें | हाथ पैर धोकर सोयें |
निचे लिखी औषधियों मे से किसी 1-2 का प्रयोग करें |
1. सेमल की जड़ का रस 5 मि.लि. दिन में दो बार लें |
2. इमली बीज चूर्ण 2 ग्राम एवम् मिश्री 2 ग्राम मिलाकर पानी से लें |
3. हल्दी का रस 3 मि.लि. दिन में दो बार लें |
4 गिलोय सत्व 500 मि.ग्राम दिन में दो बार पानी से लें |
अगर यह सब करने पर भी स्वप्नदोष अधिक मात्रा में होता रहे तो अपने फैमिली डॉक्टर या अच्छे गुप्तरोग चिकित्सक से मिलकर परामर्श ज़रूर लें |